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माटी है अनमोल

है अनमोल माटी
प्राणी मात्र की मां है माटी
इसमें उपजे अन्न खनिज
है औषधीय भंडार माटी

किसान उपजाए अन्न धन
चिर मेहनत से माटी
भूख शांत हो जन जन
है अनमोल माटी

प्रकृति पले इस पर
है प्रभू वरदान माटी
पंचतत्व का आधार ये,
है अनमोल माटी

इस माटी में जन्मे राम कृष्ण,
दिया मर्यादा और गीता का ज्ञान,
इस माटी में जन्मे अशफाक,भगत
दिया आजादी को मान,

नमन करूँ इस माटी को,
जिस पर मैंने जनम लिया,
आज समय अंतिम आया,
तब भी इसने शरण लिया,

स्वरचित :- मुकेश राठौड़

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क्षणिक जीवन

क्षण बड़ा निर्दयी होता है मौत की आगोश में सोता है अपने ही दम पर जीता है अपने ही दम पर मरता है जो जी ले हर क्षण को क्षण उसका ही होता है...

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