दस्तक मौत की आने लगी अब
उम्र भी लड़खड़ाने लगी अब
साथ तेरा खोकर सहारो की आस
इस दिल को तड़पाने लगी अब
दस्तक मौत की आने लगी अब....
जन्म से आज तक
वो साथ मेरे चलती रही
मैं सोचता था जी रहा
पर वो मेरे लिए मरती रही
जी हाँ वो श्वांस मेरी
जो हरपल हरदम साथ मेरे चलती रही
मैं इतराता अपने स्वरूप पर
पर वो हरदम मेरे सीने में धड़कती रही
मेरे हर गम में
साथ मेरे रोती रही
मेरी हर खुशी में
साथ मेरे हंसती रही
बन खिलौना जीवन का
साथ मेरे रमती रही
जब आई तरूणाई
वो और तेज गति से चलती रही
उम्र के इस ढलान पर भी
इस जड़ तन का बोझ ढोती रही
अब अंत समय आया
वो द्वार पर बैठ कर रोती रही
सज रही अर्थी जब
सबकी आंखों को डबडबाती रही
जी हां वो श्वांस ही थी
जो आज तक साथ मेरा निभाती रही
अब ये तन सिर्फ माटी है
मेरी जान मेरी श्वांस अब जाती रही
हर दम हर पल साथ मेरा निभाती रही
स्वरचित :- मुकेश राठौड़
उम्र भी लड़खड़ाने लगी अब
साथ तेरा खोकर सहारो की आस
इस दिल को तड़पाने लगी अब
दस्तक मौत की आने लगी अब....
जन्म से आज तक
वो साथ मेरे चलती रही
मैं सोचता था जी रहा
पर वो मेरे लिए मरती रही
जी हाँ वो श्वांस मेरी
जो हरपल हरदम साथ मेरे चलती रही
मैं इतराता अपने स्वरूप पर
पर वो हरदम मेरे सीने में धड़कती रही
मेरे हर गम में
साथ मेरे रोती रही
मेरी हर खुशी में
साथ मेरे हंसती रही
बन खिलौना जीवन का
साथ मेरे रमती रही
जब आई तरूणाई
वो और तेज गति से चलती रही
उम्र के इस ढलान पर भी
इस जड़ तन का बोझ ढोती रही
अब अंत समय आया
वो द्वार पर बैठ कर रोती रही
सज रही अर्थी जब
सबकी आंखों को डबडबाती रही
जी हां वो श्वांस ही थी
जो आज तक साथ मेरा निभाती रही
अब ये तन सिर्फ माटी है
मेरी जान मेरी श्वांस अब जाती रही
हर दम हर पल साथ मेरा निभाती रही
स्वरचित :- मुकेश राठौड़
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